Wednesday, September 24, 2008

हालूम खा - आख़िरी भाग

चित्र: सौजन्य से: how-to-draw-cartoons-online.com
गतांक से आगे

विमला और कमला की मां ने अपनी जादू की छड़ी घुमाई। सारे गाँव में जादू फैल गया। हालूम खा अपने घर का रास्ता भूल गया और कई कोशिशों के बाद भी , अपने घर जाने के रास्ते से विमला और कमला के घर के दरवाज़े पर पहुँच गया। आखिर में थक हार कर हालूम खा ने उनके घर का दरवाज़ा खटखटाया। उसने सोचा कि आज की रात इसी घर में काटी जाये। विमला-कमला की मां ने दरवाज़ा खोला। हालूम खा को बड़े ज़ोरों की नींद आ रही था। उसने घर में घुसते ही सोने के लिये जगह माँगी। विमला कमला की मां ने उसे फ़र्श पर पड़े एक भूसे का ढेर दिखा दिया। हालूम खा वहीं पड़ कर सो गया।

हालूम खा के सोते ही, विमला और कमला की मां ने रस्सी से बँधे झोले को खोला, कमला को उस झोले से निकाला और उसमें बड़े बड़े पत्थर, साँप, और काँटे आदि डाल कर झोले को फिर बंद कर दिया।

अगली सुबह, हालूम खा घर से किसी को बिना कुछ बोले ही निकल गया और अपने घर की ओर जाने लगा। उसका घर पहाड़ी के पीछे था, सो पहाड़ी चढ़ते वक्त, उसके पीठ पर भारी पत्थर पड़ने लगे। हालूम खा ज़ोर से हँसा, " हा हा हा, तू छोटी सी लड़की, मुझे क्या मुक्के मारेगी, मैं तो अभी तुझे घर जा कर भून कर खा जाऊँगा, बस थोड़ी देर और...हा हा हा"। हालूम खा की भयानक आवाज़ सुन कर साँप ’हिस्स हिस्स’ करने लगे। हालूम खा को लगा कि छोटी लड़की रो रही है। उसने फिर कहा, " हा हा हा, तू छोटी सी लड़की, अब रोना बंद कर, मैं तो अभी तुझे घर जा कर भून कर खा जाऊँगा, बस थोड़ी देर और...हा हा हा"। जब उसके पीठ पर काँटे चुभने लगे, तो हालूम खा ने फिर कहा, " हा हा हा, तू छोटी सी लड़की, मुझे क्या नोचेगी, मैं तो अभी तुझे घर जा कर भून कर खा जाऊँगा, बस थोड़ी देर और...हा हा हा"।

घर पहुँच कर हालूम खा ने अपनी पत्नी से कहा, " सुनती हो, ज़रा इस बच्ची को झोले से निकाल कर, नमक मिर्च लगा कर, भून कर लाओ, अच्छा नाश्ता मिला है आज"। हालूम खा की पत्नी जैसे ही झोले को खोलने गई, वैसे ही साँपों की हिस्स हिस्स सुन कर डर गई और हालूम खा से बोली, " ना बाबा, मुझे तो डर लगता है, कैसी आवाज़ आ रही है झोले से"। हालूम खा ज़ोर से हँसा और बोला," अरे तुम इतने से ही डर गईं, मैं नहीं रहूँगा जब तब जाने तुम लोगों का क्या होगा।" फिर उसने अपने बड़े बेटे को बुलाया और कहा," ए बड़कू, ज़रा इस बच्ची को झोले से निकाल कर, नमक मिर्च लगा कर, भून कर ला, अच्छा नाश्ता मिला है आज"। बड़कू भी साँप की हिस्स हिस्स सुन कर डर गया और बोला, " ना बाबा, मुझे तो डर लगता है, कैसी आवाज़ आ रही है झोले से"। हालूम खा फिर ज़ोर से हँसा, और बोला, ," अरे तू इतने से ही डर गया, मैं नहीं रहूँगा जब, तब जाने तुम लोगों का क्या होगा।" अब उसने अपने छोटे बेटे को आवाज़ दी और कहा, " ए छुटकू, ज़रा इस बच्ची को झोले से निकाल कर, नमक मिर्च लगा कर, भून कर ला, अच्छा नाश्ता मिला है आज"। छुटकू भी साँप की हिस्स हिस्स सुन डर गया और बोला, " ना बाबा, मुझे तो डर लगता है, कैसी आवाज़ आ रही है झोले से"। हालूम खा फिर और ज़ोर से हँसा, और बोला, ," अरे तू भी इतने से ही डर गया, मैं नहीं रहूँगा जब, तब जाने तुम लोगों का क्या होगा।"
आख़िरकार हालूम खा खुद ही उठा और किसी भी आवाज़ की परवाह किये बग़ैर ही उसने झोले को खोल डाला। झोले में से दो बड़े बड़े साँप निकले और हालूम खा को खा गये। हालूम खा की पत्नी और बच्चे डर के मारे पहाड़ी छोड़ कर कहीं दूर चले गये। इस तरह हालूम खा का आतंक पूकुरग्राम से खत्म हो गया और सभी लोग खुशी खु़शी रहने लगे।

Thursday, September 18, 2008

हालूम खा - पहला भाग

चित्र: सौजन्य से:
how-to-draw-cartoons-online.com

बहुत समय पहले की बात है। एक पहाड़ी के नीचे एक सुंदर, हरा भरा गाँव बसा था, पूकुरग्राम। वहाँ सभी लोग बहुत मिल जुल कर रहते थे। मगर उस गाँव की एक समस्या थी। पहाड़ी के पीछे रहता था हालूम खा, जो कि शाम होते ही पहाड़ी से नीचे आकर बच्चे उठा ले जाता था। सभी बच्चों की माँ बहुत परेशान रहती थी । कोई बच्चा शाम को घर से बाहर देर तक नहीं रह पाता और शाम होते ही घर में दुबक जाता। सभी हालूम खा से त्रस्त थे।

उसी गाँव के एक घर में दो लड़कियाँ अपने मां के साथ रहती थीं। कमला और विमला। दोनों बहनों में बहुत प्यार था और वे हमेशा मां का कहा सुनती थीं। एक बार गाँव में किसी बच्चे का जन्मदिन था। उसने गाँव के सभी बच्चों को अपने जन्म दिन पर बुलाया। कमला और विमला को भी निमंत्रण आया। कमला और विमला की माँ ने उनके के लिये सुंदर कपड़े सीये और उनको जाने के लिये तैयार किया। उनकी मां को जादू का ज्ञान भी था। वो इस जादू का इस्तेमाल सिर्फ़ भले कामों के लिये ही करती थीं। न्यौते पर जाने से पहले कमला और विमला को उनकी मां ने एक जादू की टोपी दी और कहा, "इन टोपियों को उतारना नहीं। इन टोपियों को जब तक तुम लोग पहनी रहोगी, तुम्हें हालूम खा नहीं हाथ लगा सकता। मगर शाम से पहले घर आ जाना, देर मत करना।" कमला और विमला, दोनों मां के सीये कपड़े और टोपी पहन कर अपने दोस्त के जन्मदिन के न्यौते पर चली गईं।

जब शाम होने लगी तो सभी बच्चे अपने-अपने घर जाने लगे। कमला और विमला भी घर की तरफ़ बढ़ने लगे। रास्ते में अचानक विमला का हाथ उसके अपने सर पर गया तो वो चीख उठी। उस के सर पर जादू की टोपी नहीं थी। दोनों बहनें घबरा गईं। तब विमला ने कमला से कहा, "बहन, तू यहीं रुक, मैं अभी वो टोपी ले कर आती हूँ। लगता है जिस बगीचे में हम खेल रहे थे वहाँ गिर गई है टोपी।" विमला दौड़ कर उस छोटे से फूल के बगीचे में अपनी टोपी ढूँढने चली गई। कमला वहीं रुक कर विमला का इंतज़ार करने लगी।

बगीचे में विमला ने हर तरफ़ देखा। आख़िरकार उसे अपनी टोपी एक फूल के पौधे के नीचे पड़ी मिल ही गई। विमला ने दौड़ कर उस टोपी को उठा लिया और उसे अपने सर पर पहनने ही वाली थी कि पीछे से उसका हाथ दो मज़बूत हाथों ने पकड़ लिया। " हा हा हा, मुझसे कैसे बचोगी। मैं आज तुम्हें पकड़ कर नमक मिर्च लगा कर खाऊँगा"। हालूम खा ने विमला को पकड़ लिया, और अपने झोले में डाल कर अपने घर की ओर चल पड़ा।

उधर कमला ने देखा कि विमला बहुत देर तक नहीं आ रही है, तो उसे शक हो गया कि विमला को शायद हालूम खा ने पकड़ लिया है। वो भाग कर अपने घर चली गई और घर जा कर उसने अपनी मां को सारी बातें बताईं।
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Wednesday, September 17, 2008

एक राजा और उसकी दो रानियाँ

दूर किसी देश में एक राज्य था, कमलापुरी। कमलापुरी के राजा की दो रानियाँ थीं। दोनों ही बड़ी सुंदर थीं। मगर दुर्भाग्यवश बड़ी रानी के बस एक ही बाल थे और छोटी रानी के दो। बड़ी रानी बहुत भोली थी और छोटी रानी को फूटी आँख न सुहाती थी। एक दिन छोटी रानी ने बड़ी रानी से कहा," बड़ी दीदी, आपके सर पर मुझे एक सफ़ेद बाल दिखाई दे रहा है, आइये उसे निकाल दूँ।" बड़ी रानी ने कहा, मगर मेरे तो सिर्फ़ एक ही बाल हैं, क्या वो भी सफ़ेद हो गया?" छोटी रानी ने झूठ मूठ का गुस्सा दिखाया और बोली," ठीक है अगर मुझ पर विश्वास नहीं तो मुझसे बात करने की भी ज़रूरत नहीं। मैं तो आपके भले के लिये ही कह रही थी।" भोली भाली बड़ी रानी छोटी रानी की बातों में आ गई, और छोटी रानी ने उसका वो एक बाल चिमटी से खींच कर निकाल दिया। बड़ी रानी के अब कोई बाल बाकी नहीं रहे। राजा ने जब ये देखा तो बहुत नाराज़ हुये और बिना कुछ कहे सुने बड़ी रानी को घर से निकाल दिया।

बड़ी रानी रोते रोते राज्य से बाहर चली गई। एक नदी के किनारे, अनार के पेड़ के नीचे बैठ कर वो ज़ोर ज़ोर से रो रही थी कि तभी एक बित्ते भर की बहुत सुंदर परी प्रकट हुई। उस परी ने रानी से उसके रोने का कारण पूछा। बड़ी रानी ने सब कुछ सच सच बता दिया। तब परी बोली, " ठीक है, मैं जैसा कहती हूँ, वैसा ही करो, न ज़्यादा न कम। पहले इस नदी में तीन डुबकी लगाओ और फिर इस अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ो।" और ऐसा कह कर परी गायब हो गयी।

बड़ी रानी ने वैसा ही किया जैसा कि परी ने कहा था। जब रानी ने पहली डुबकी लगाई तो उसके शरीर का रंग और साफ़ हो गया, सौंदर्य और निखर गया। दूसरी डुबकी लगाने पर उसके शरीर में सुंदर कपड़े और ज़ेवर आ गये। तीसरी डुबकी लगाने पर रानी के सुंदर लंबे काले घने बाल आ गये। इस तरह रानी बहुत सुंदर लगने लगी। नदी से बाहर निकल कर रानी ने परी के कहे अनुसार अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ा। उस अनार के सारे बीज सैनिक बन कर फूट आये और रानी के लिये एक तैयार पालकी में उसे बिठा कर राज्य में वापस ले गये।

राजमहल के बाहर शोर सुन कर राजा ने अपने मंत्री से पता करने कहा कि क्या बात है। मंत्री ने आकर ख़बर दी कि बड़ी रानी का जुलूस निकला है। राजा ने तब बड़ी रानी को महल में बुला कर सारी कहानी सुनी और पछताते हुये इस बार छोटी रानी को राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दिया।

छोटी रानी ने पहले ही परी की सारी कहानी सुन ली थी। वो भी राज्य से बाहर जा कर अनार के पेड़ के नीचे, नदी किनारे जा कर रोने लगी। पिछली बार जैसे ही इस बार भी परी प्रकट हुई। परी ने छोटी रानी से भी उसके रोने का कारण पूछा। छोटी रानी ने झूठ मूठ बड़ी रानी के ऊपर दोष लगाया और कहा कि उसे बड़ी रानी महल से बाहर निकाल दिया है। तब परी बोली, " ठीक है, मैं जैसा कहती हूँ, वैसा ही करो, न ज़्यादा न कम। पहले इस नदी में तीन डुबकी लगाओ और फिर इस अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ो।" और ऐसा कह कर परी गायब हो गयी।

छोटी रानी ने ख़ुश हो कर नदी में डुबकी लगाई। जब रानी ने पहली डुबकी लगाई तो उसके शरीर का रंग और साफ़ हो गया, सौंदर्य और निखर आया। दूसरी डुबकी लगाने पर उसके शरीर पर सुंदर कपड़े और ज़ेवर आ गये। तीसरी डुबकी लगाने पर रानी के सुंदर लंबे काले घने बाल आ गये। इस तरह रानी बहुत सुंदर लगने लगी। जब छोटी रानी ने ये देखा तो उसे लगा कि अगर वो तीन डुबकी लगाने पर इतनी सुंदर बन सकती है, तो और डुबकिय़ाँ लगाने पर जाने कितनी सुंदर लगेगी। इसलिये, उसने एक के बाद एक कई डुबकियाँ लगा लीं। मगर उसका ऐसा करना था कि रानी के शरीर के सारे कपड़े फटे पुराने हो गये, ज़ेवर गायब हो गये, सर से बाल चले गये और सारे शरीर पर दाग़ और मस्से दिखने लगी। छोटी रानी ऐसा देख कर दहाड़े मार मार कर रोने लगी। फिर वो नदी से बाहर आई और अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ा। उस अनार में से एक बड़ा सा साँप निकला और रानी को खा गया।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि दूसरों का कभी बुरा नहीं चाहना चाहिये, और लोभ नहीं करना चाहिये।

परी कथायें व अन्य बाल कथायें

बचपन में हर रात सोने जाने से पहले पापा मुझे एक कहानी सुनाते थे। कई बार वो कहानियाँ दोहराई जाती थीं, मगर एक कहानी रोज़ होती थी। उसी तरह बंगला परी कथाओं की एक कहानी की किताब, "ठाकुमार झूली" से भी बचपन में मैंने कई कहानियाँ पढ़ीं। उन में से अभी भी कुछ याद हैं और अपनी याददाश्त के ही आधार पर वो कहानियाँ मैं यहाँ पेश करूँगी, जब जैसा समय मिले।

disclaimer: सभी कहानियों में कई जगह असली कहानी से पात्रों और जगह के नाम भिन्न हो सकते हैं व कहानी में भी पार्थक्य हो सकता है।
अगले पोस्ट में कहानी- एक राजा और उसकी दो रानियाँ।