दूर किसी देश में एक राज्य था, कमलापुरी। कमलापुरी के राजा की दो रानियाँ थीं। दोनों ही बड़ी सुंदर थीं। मगर दुर्भाग्यवश बड़ी रानी के बस एक ही बाल थे और छोटी रानी के दो। बड़ी रानी बहुत भोली थी और छोटी रानी को फूटी आँख न सुहाती थी। एक दिन छोटी रानी ने बड़ी रानी से कहा," बड़ी दीदी, आपके सर पर मुझे एक सफ़ेद बाल दिखाई दे रहा है, आइये उसे निकाल दूँ।" बड़ी रानी ने कहा, मगर मेरे तो सिर्फ़ एक ही बाल हैं, क्या वो भी सफ़ेद हो गया?" छोटी रानी ने झूठ मूठ का गुस्सा दिखाया और बोली," ठीक है अगर मुझ पर विश्वास नहीं तो मुझसे बात करने की भी ज़रूरत नहीं। मैं तो आपके भले के लिये ही कह रही थी।" भोली भाली बड़ी रानी छोटी रानी की बातों में आ गई, और छोटी रानी ने उसका वो एक बाल चिमटी से खींच कर निकाल दिया। बड़ी रानी के अब कोई बाल बाकी नहीं रहे। राजा ने जब ये देखा तो बहुत नाराज़ हुये और बिना कुछ कहे सुने बड़ी रानी को घर से निकाल दिया।
बड़ी रानी रोते रोते राज्य से बाहर चली गई। एक नदी के किनारे, अनार के पेड़ के नीचे बैठ कर वो ज़ोर ज़ोर से रो रही थी कि तभी एक बित्ते भर की बहुत सुंदर परी प्रकट हुई। उस परी ने रानी से उसके रोने का कारण पूछा। बड़ी रानी ने सब कुछ सच सच बता दिया। तब परी बोली, " ठीक है, मैं जैसा कहती हूँ, वैसा ही करो, न ज़्यादा न कम। पहले इस नदी में तीन डुबकी लगाओ और फिर इस अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ो।" और ऐसा कह कर परी गायब हो गयी।
बड़ी रानी ने वैसा ही किया जैसा कि परी ने कहा था। जब रानी ने पहली डुबकी लगाई तो उसके शरीर का रंग और साफ़ हो गया, सौंदर्य और निखर गया। दूसरी डुबकी लगाने पर उसके शरीर में सुंदर कपड़े और ज़ेवर आ गये। तीसरी डुबकी लगाने पर रानी के सुंदर लंबे काले घने बाल आ गये। इस तरह रानी बहुत सुंदर लगने लगी। नदी से बाहर निकल कर रानी ने परी के कहे अनुसार अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ा। उस अनार के सारे बीज सैनिक बन कर फूट आये और रानी के लिये एक तैयार पालकी में उसे बिठा कर राज्य में वापस ले गये।
राजमहल के बाहर शोर सुन कर राजा ने अपने मंत्री से पता करने कहा कि क्या बात है। मंत्री ने आकर ख़बर दी कि बड़ी रानी का जुलूस निकला है। राजा ने तब बड़ी रानी को महल में बुला कर सारी कहानी सुनी और पछताते हुये इस बार छोटी रानी को राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दिया।
छोटी रानी ने पहले ही परी की सारी कहानी सुन ली थी। वो भी राज्य से बाहर जा कर अनार के पेड़ के नीचे, नदी किनारे जा कर रोने लगी। पिछली बार जैसे ही इस बार भी परी प्रकट हुई। परी ने छोटी रानी से भी उसके रोने का कारण पूछा। छोटी रानी ने झूठ मूठ बड़ी रानी के ऊपर दोष लगाया और कहा कि उसे बड़ी रानी महल से बाहर निकाल दिया है। तब परी बोली, " ठीक है, मैं जैसा कहती हूँ, वैसा ही करो, न ज़्यादा न कम। पहले इस नदी में तीन डुबकी लगाओ और फिर इस अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ो।" और ऐसा कह कर परी गायब हो गयी।
छोटी रानी ने ख़ुश हो कर नदी में डुबकी लगाई। जब रानी ने पहली डुबकी लगाई तो उसके शरीर का रंग और साफ़ हो गया, सौंदर्य और निखर आया। दूसरी डुबकी लगाने पर उसके शरीर पर सुंदर कपड़े और ज़ेवर आ गये। तीसरी डुबकी लगाने पर रानी के सुंदर लंबे काले घने बाल आ गये। इस तरह रानी बहुत सुंदर लगने लगी। जब छोटी रानी ने ये देखा तो उसे लगा कि अगर वो तीन डुबकी लगाने पर इतनी सुंदर बन सकती है, तो और डुबकिय़ाँ लगाने पर जाने कितनी सुंदर लगेगी। इसलिये, उसने एक के बाद एक कई डुबकियाँ लगा लीं। मगर उसका ऐसा करना था कि रानी के शरीर के सारे कपड़े फटे पुराने हो गये, ज़ेवर गायब हो गये, सर से बाल चले गये और सारे शरीर पर दाग़ और मस्से दिखने लगी। छोटी रानी ऐसा देख कर दहाड़े मार मार कर रोने लगी। फिर वो नदी से बाहर आई और अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ा। उस अनार में से एक बड़ा सा साँप निकला और रानी को खा गया।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि दूसरों का कभी बुरा नहीं चाहना चाहिये, और लोभ नहीं करना चाहिये।
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6 comments:
बहुत अच्छी कहानी है.. इसे आदि को सुनाऊगां...
आपका ब्लॉग देखकर मजा आ गया। मैं भी बाल साहित्य से जुडा हुआ हूं और थोडा बहुत लिखता रहता हूं। आशा है आप अपने ब्लॉग पर नियमित लिखती रहेंगी।
arey waah.. bahut badhiya.. concept bhi aur kahani bhi..
wah bhai achcha hai raat mein sulane ke samay jo story ki demand hoti hai wo aisi kahaniyon se poori ho jayegi.
is sarthak pryas ke liye badhai
बहुत अच्छी कहानी सुनायी। यह ब्लाग शुरू करके बहुत अच्छा काम किया। बधाई! इसे नियमित रखें।
कहानी बहुत सुन्दर है मजा आ गया
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